अबूझमाड़िया जनजाति | Abujhmadiya Tribes in Hindi

Abujhmadiya Tribes

इस पोस्ट मे अबूझमाड़िया जनजाति (Abujhmadiya Tribe in Hindi) के बारे मे, उनके इतिहास, रहन-सहन, संस्कृति, भाषा एवं बोली, विवाह प्रथा, कृषि एवं खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहार एवं देवी देवताओ के बारे मे जानकारी दी गयी है।


Abujhmadiya Janjati Overview
जनजाति का नाम अबूझमाड़िया जनजाति
उपजाति अबूझमाड़िया, बोइसन हॉर्न
गोत्र अक्का, मंडावी, धुर्वा, उसेंडी, मरका, गुंठा, अटमी, लखमी, बडडे, थोंड़ा
निवास स्थान नारायणपुर, बीजापुर, दांतेवाड़ा
भाषा बोली माड़ी बोली
कुल जनसंख्या 22,000

अबूझमाड़िया जनजाति (Abujhmadiya Janjati)-अबूझमाड़िया यह एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। जो कि बस्तर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में निवास करने वाले माड़िया गोंड़ को अबूझमाड़िया कहा जाता है।अबूझमाड़िया जनजाति नारायणपुर, दंतेवाड़ा, एवं बीजापुर के अबूझमाड़ के क्षेत्रमें निवासरत है। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में निवास करने वाले माड़िया गोड़ को अबूझमाड़िया कहा जाता है। एवं अबूझमाड़ क्षेत्र मे बसे होने के कारण माड़िया (Mariya Janjati) या हिल माड़िया (Hill Mariya Janjati) कहा जाता है। माड़िया जनजाति गोडो की उपजाति है। माड़िया जनजाति की भी दो उपजाति है- 1. अबूझमाड़िया 2. बोइसन हॉर्न । अबूझमाड़िया जनजाति विशेष पिछड़ी जनजाति के अंतर्गत आते है। अबूझमाड़िया जनजाति अबूझमाड़ के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रो मे निवास करते है जबकि बोइसन हॉर्न इंद्रावती नदी के आस पास के जंगलो मे निवास करते है।


अबूझमाड़िया जनजाति को मेटाभूम (भूमि पर मर मिटने वाला) कहा जाता है। वर्तमान मे इसकी जनसंख्या लगभग 22,000 है। इन जनजातियो की साक्षारता दर (19.25) सबसे कम होती है। तथा ज्यादातर अबूझमाड़िया लोग बस्तर संभाग के नारायणपुर तहसील मे निवास करते है।


अबूझमाड़िया जनजाति का इतिहास(History of Abujhmadiya Janjati):-

अबूझमाड़िया जनजाति के इतिहास में कोई एतेहासिक प्रमाण नहीं है किवदंतियों के अनुसार माड़िया गोड़ जाति के प्रेमी सामाजिक दर से भागकर ऐसे इस दुर्गम क्षेत्र में आए और यही बस गए। इन्ही के वंशज अबूझमाड़ क्षेत्र में रहने के कारण अबूझमाड़िया कहलाए। और यहाँ सामान्य रूप से अबूझमाड़ क्षेत्र में निवास करने वाले माड़िया गोड़ को अबूझमाड़िया कहा जाता है। गोड़ जनजाति से अलग होकर ये लोग अबूझमाड़ क्षेत्र के घने जंगलो मे चले गए जिसके वजह से ये अबूझमाड़िया जनजाति कहलाने लगे। अबूझमाड़िया जनजाति आज भी अपनी परंपरा को सहेजे हुये है। इसीलिए इसको भूमि के रक्षक भी कहा जाता है।


अबूझमाड़िया जनजाति की संस्कृति एवं विरासत (Abujhmariya Janjati Culture and Heritage)

अबूझमाड़िया जनजाति की संस्कृति उनके धार्मिक और सांस्कृतिक अद्भुतताओं का प्रतीक है। वे प्रमुख रूप से हिन्दू धर्म के अनुयायी होते हैं और अपनी पारंपरिक पूजा-अराधना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके धार्मिक आचरण और रीति-रिवाज उनके समाज की एकता और समरसता का प्रतीक होते हैं। इनकी भाषा और संगीत भी उनकी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अबूझमाड़िया जनजाति की भाषा असमी भाषा के एक विशेष रूप को प्रकट करती है, जिसमें उनकी विचारधारा, भावनाएँ और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतिष्ठान होता है। उनके संगीत में भी उनकी पारंपरिक गायन कला दिखती है, जिसमें धार्मिक कथाएँ और सांस्कृतिक मूल्यों की बजाये जाती हैं।


अबूझमाड़िया जनजाति के वस्त्र और शृंगार भी उनकी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके परिधान उनके स्थानीय परिवेश, मौसम और आवश्यकताओं के अनुसार डिज़ाइन किए जाते हैं और उनके समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करते हैं। इसके अलावा, abujhmadiya janjati का खान-पान भी उनकी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उनकी पारंपरिक खाद्य पदार्थ और विविधता से भरपूर विशेषताएँ उनके खान-पान की पहचान होती हैं। अबूझमाड़िया जनजाति की संस्कृति और विरासत उनके समाज की आत्म-सम्मान और गरिमा का प्रतीक हैं। उनका सांस्कृतिक धरोहर उनके जीवनशैली, सोच और समाज की मूल तत्त्वों को प्रकट करता है और उन्हें उनके रूझान और उद्देश्यों के प्रति समर्पित बनाता है।


अबूझमाड़िया जनजाति की कृषि (Agriculture of Abujhmadiya Janjati):-

अबूझमाड़िया जनजाति (Madiya Tribe in Hindi) ये जनजाति स्थानांतरित कृषि करते है। खेत ढलवा भूमि मे बनाया जाता है जिसमे धान उगाया जाता है। सभी लोगो के द्वारा मिलकर खेती के लिए जंगलो की सफाई की जाती है। खेतो के लिए अलग-अलग बाड़ा (घेरा) नही बनाई जाती है सही खेतो के लिए एक बड़ा सा घेरा तैयार किया जाता है। ये लोग धान के अतिरिक्त चमेली,जोधरा, कसरा, इत्यादि मोटे अनाज उगाते है जिन्हे जंगली सुअरो द्वारा ज्यादा नुकसान का खतरा रहता है। इसके अलावा ये लोग घर के पीछे बाड़ी मे केला, सब्जी, तंबाकू आदि उगाते है।


अबूझमाड़िया जनजाति की लोकगीत एवं लोकनृत्य (Folk Song and Dance of Abujhmadiya Janjati):-

लोकनृत्य (Folk Dances):अबूझमाड़िया जनजाति मे काकसाड़, रिलो नृत्य व गेंड़ि प्रमुख लोकनृत्य है। अबूझमाड़िया जनजाति की लोकनृत्य प्राचीन संस्कृति और जीवनशैली का प्रतीक होते हैं।उनके सामाजिक समागमों, उत्सवों और धार्मिक आयोजनों में प्रदर्शित होते हैं। इन नृत्यों के माध्यम से वे अपनी भूमि की अद्वितीयता और अपने धार्मिक आदर्शों को प्रकट करते हैं।


लोकगीत (Folk Songs): अबूझमाड़िया जनजाति के प्रमुख लोकगीत घोटूल पाटा, ककसाड़ पाटा, पेंडुलपाटा, रिलोगीत, पुजागीत एवं ददरिया आदि। इनके उनके समाज, संस्कृति और जीवनशैली की छवि को प्रकट करते हैं। इन गीतों में आमतौर पर उनके दैनिक जीवन के पट्टी, खुशियाँ, दुःख-दर्द और परंपरागत मूल्यों का प्रतिष्ठान होता है।

रिलोगीत (Religious Songs): अबूझमाड़िया जनजाति की रिलोगीत उनके आध्यात्मिक अनुष्ठान और धार्मिक आयोजनों का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। ये गीत धार्मिक कथाओं, देवी-देवताओं की महिमा और आध्यात्मिक आदर्शों को स्तुति और प्रशंसा का अभिव्यक्त करने का माध्यम होते हैं।

पुजागीत (Devotional Songs): अबूझमाड़िया जनजाति के पुजागीत भगवान की पूजा और आराधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ये गीत पूजा-अराधना के दौरान गाए जाते हैं और उनके धार्मिक आयोजनों में भी प्रदर्शित होते हैं।

ददरिया (Traditional Stories and Ballads): अबूझमाड़िया जनजाति की ददरिया गाथाएँ और गाने उनकी पारंपरिक कथाओं और इतिहास को सुनाते हैं। इनमें स्थानीय वीरता कथाएँ, महाकवियों की किस्से और समाज के मूल उपदेशों का प्रसार होता है। अबूझमाड़िया जनजाति की लोकगीत और लोकनृत्य उनके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो उनकी अनूठी पहचान और समृद्ध संस्कृति को प्रकट करते हैं।


अबूझमाड़िया जनजाति के देवी-देवता (Lord and of Abujhmariya Janjati):-

अबूझमाड़िया जनजाति के लोगों का प्रमुख देवी देवता बूढ़ादेव, बूढ़ीमाई, ठाकुरदेव बूढ़ी डोकरी एवं लिंगोपेन एवं गोत्रानुसार कुल देवता की पुजा आराधना की जाती है। इन लोगो मे अपनी देवी देवताओ के प्रति अखण्ड विश्वास होती है।


  • बूढ़ादेव: अबूझमाड़िया जनजाति के कई समुदायों में बूढ़ादेव को प्रमुख देवता के रूप में पूजा जाता है। वे मुख्य रूप से असम राज्य में प्रसिद्ध हैं, और वहां के बोडो, डिमासा, आदिवासी और अन्य समुदायों में उनकी विशेष मान्यता है। बूढ़ादेव को आमतौर पर शिव के रूप में पूजा जाता है और उनका आद्यात्मिक महत्व उनके अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा के दौरान धार्मिक गीत, कथाएँ और परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।
  • बूढ़ीमाई: बूढ़ीमाई एक और महत्वपूर्ण देवी है, जिन्हें अबूझमाड़िया जनजाति के अनेक समुदायों में पूजा जाता है। वे भागलपुर जिले के सनदाल और पहाड़िया समुदायों में प्रमुख हैं और उनकी मान्यता भागलपुर क्षेत्र में व्याप्त है। बूढ़ीमाई को शक्ति की प्रतिष्ठा के रूप में पूजा जाता है और उनके शक्तिशाली दर्शनों और दुर्गाशक्ति की पूजा की जाती है।
  • ठाकुरदेव: ठाकुरदेव को असम राज्य के कर्णाटकी समुदाय में प्रमुख देवता के रूप में माना जाता है। वे श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में पूजे जाते हैं और उनके भक्तों के द्वारा गीत, कथाएँ और पौराणिक कथाएँ सुनाई जाती हैं। ठाकुरदेव के उपासना से संबंधित विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सामाजिक आयोजन किए जाते हैं जो समुदाय के सदस्यों के धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों का हिस्सा होते हैं।
  • लिंगोपेन: लिंगोपेन भारतीय जनजातियों के बिहु और सनदाल समुदाय में प्रमुख देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वे मुख्य रूप से झारखंड राज्य में पूजे जाते हैं और उनका विशेष त्योहार "लिंगोपेन फेस्टिवल" के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान भक्तों के द्वारा पूजा, भजन-कीर्तन और परंपरागत नृत्य-संगीत का आयोजन किया जाता है, जिससे समुदाय की एकता और सांस्कृतिक विरासत को बचाया जाता है।

अबूझमाड़िया जनजाति की संवृद्धि और समृद्धि में इन देवताओं का महत्वपूर्ण योगदान है, जो उनके धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को अद्वितीयता और रंगीनता से भर देते हैं। ये देवताएँ उनके समाज के सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयामों को मजबूती से जोड़ती हैं और उनकी विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक बचाए रखने में सहायक होती हैं।


अबूझमाड़िया जनजाति मे विवाह प्रथा (Wedding Ceremony):-

इस जाति (Abujhmar janjati in Hindi) मे मुख्यत: निम्न प्रकार की विवाह प्रचलित है-

  • बीथेर (एक साथ भाग जाना)।
  • ओडियत्ता (जबरदस्ती घुसपैठ विवाह)।
  • चूड़ी पहनना(पुनर्विवाह)।

  • अबूझमाड़िया जनजाति की भाषा (Tongue and Languages of Abujhmariya Janjati):-

    अबूझमाड़िया जनजाति के द्वारा माड़ी बोली (द्रविड़ भाषा परिवार की बोली) भाषा बोली जाती है।


    द्रविड़ भाषा भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली भाषा परिवार की एक शाखा है, जिसमें कई उपभाषाएँ और भाषाएँ शामिल हैं। यह भाषा परिवार दक्षिण भारत में मुख्य रूप से प्राचीन द्रविड़ जनजातियों द्वारा बोली जाती थी और अब भी दक्षिण भारतीय राज्यों में इसका प्रयोग होता है। द्रवीण भाषा के उदाहरण तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम आदि हैं। यह भाषाएँ व्याकरण, शब्दावली और भाषाई संरचना में अपने विशिष्टता और ध्वनिक परिप्रेक्ष्य के लिए प्रसिद्ध हैं।


    अबूझमाड़िया जनजाति मे घोटूल प्रथा(Ghotul Tradition in Abujhmadiya Janjati):-

    अबूझमाड़िया जनजाति के लोगो मे घोटूल (युवागृह) जो गाँव में पाया जाता है। जिनमें युवक युवतियाँ जाकर नाच-गान तथा अन्य सामाजिक- आर्थिक जीवन की शिक्षा ग्रहण करते है। यह परंपरा प्रचलित है। इसमे प्रतिदिन शाम होने पर गाँव के सभी कुँवारे लड़के एवं लड़कियां घोटूल (सार्वजनिक रूप से बना अलग प्रकार का घर) मे जाते है एवं अंधेरा होने से पहले घर लौट आते है। जहा पर सिरदार (घोटूल का प्रमुख) एवं कोटवार (व्यवस्थापक) होता है। कोटवार घर के अंदर लड़के एवं लड़कियो की जोड़ा बनाते है। कोई भी जोड़ा तीन दिन से अधिक एक साथ नही रह सकता है। घोटूल मे लड़कियो द्वारा लड़को का बाल सवारना, हाथ पैर की मालिश जैसी कार्य किया जाता है। उसके बाद ये लोग घोटूल के बाहर नाच गान करते है। इस नाच मे शादी शुदा औरते भाग नही ले सकती जबकि विवाहित पुरुषो को इसमे भाग लेने की छुट होती है। ये आग के चारो ओर एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर नाचते है। घोटूल के दौरान यदि कोई लड़की-लड़का पसंद आ जाये तो घर वालों को बताते है फिर उनकी शादी कर दी जाती है।


    अबूझमाड़िया जनजाति की महत्वपूर्ण बिन्दु(Important Point about Abujhmadiya Janjati):-

    1. अबूझमाड़िया जनजाति के प्रमुख त्योहार पोला, काकसार व पंडुम आदि है।
    2. अबूझमाड़िया जनजाति के गोत्र इस जाति में वंश को अनेक गोत्रों में विभाजित किया गया है। जिसे 'गोती' कहा जाता है। इनके प्रमुख गोत्र अक्का, मंडावी, धुर्वा, उसेंडी, मरका, गुंठा, अटमी, लखमी, बडडे, थोंड़ा आदि है।
    3. इनमे युवागृह होता है जिसे घोटूल कहा जाता है।
    4. अबूझमाड़िया जनजाति के लोग तंत्र-मंत्र मे विश्वास रखते है जिसे गायता या सिरहा कहते है।
    5. अबूझमाड़िया जनजाति का महुआ एवं सल्फी प्रमुख पेय पदार्थ है।
    6. गर्भवती महिलाओ के प्रसव हेतु कुरमा नामक अलग से झोपड़ी बनाया जाता है।
    7. क्षेत्र के सबसे मुखिया व्यक्ति को मांझी कहा जाता है।
    8. ये लोग तीरंदाजी एवं आखेट करना पसंद करते है।

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