बैगा जनजाति | Baiga Tribes in Hindi

Baiga Tribes

इस पोस्ट मे बैगा जनजातियो (Baiga Tribe in Hindi) के बारे मे, उनके इतिहास, रहन-सहन, संस्कृति, भाषा एवं बोली, विवाह प्रथा, कृषि एवं खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहार एवं देवी देवताओ के बारे मे जानकारी दी गयी है।


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जनजाति का नाम बैगा जनजाति
बैगा जनजाति की उपजाति बिंझवार, भरोतिया, नरोतिया, रायभैना, दुधभैना, कोडवान (कुंडी), गोंडभैना, कुरका बैगा, सावत बैगा एवं काढ़भैना
बैगा जनजाति के गोत्र धुर्वे, मरकाम, नेताम, परतेती, टेकाम, मरावी, भलवी या भलावी
निवास स्थान मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़
बैगा जनजाति की भाषा एवं बोली हिन्दी, छत्तीसगढ़ी,
कुल जनसंख्या 69993

बैगा जनजाति (Baiga janjati)- बैगा जनजाति अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आने वाली एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। बैगा जनजाति सर्वाधिक मध्यप्रदेश के जंगलो मे निवास करते हैं। जबकि इसकी कुछ जनजाति आस-पास के राज्यो जैसे- उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड मे निवास करते हैं। बैगा जनजाति छत्तीसगढ़ में बस्तर, कांकेर और दंतेवाड़ा में निवास करते है।


बैगा का अर्थ ओझा या शमन होता है। बैगा जनजाति के लोग झाड़ फूँक एवं अंधविश्वास जैसी परम्पराओ को आज भी मानते है। बैगा जनजाति को भूमिया (धरतीपुत्र) के नाम से भी जाना जाता है। 2001 की जनगणना के अनुसार इनकी कुल जनसंख्या लगभग 69993 है तथा लिंगानुपात 989, एवं साक्षारता 31.35% है।


बैगा जनजाति का इतिहास (History of Baiga Tribes):-

बैगा जनजाति का इतिहास अस्पष्ट है, ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने पृथ्वी कि रचना की थी तब उन्होने पृथ्वी पर समुद्र, नदी, पहाड़-पर्वत, पशु-पक्षी, तथा मनुष्य आदि चीजों को बनाया। मनुष्यों में बुद्धिमता होने के कारण उनका निरंतर विकास होता गया तथा कृत्रिम वस्तुओं का निर्माण होना शुरू हुआ। इन वस्तुओं में टंगिया (कुल्हाड़ी) तथा नांगर (हल एक प्रकार का कृषि उपकरण) मनुष्यों द्वारा ही निर्मित उपकरण है जिसका उपयोग क्रमशः शिकार एवं कृषि के लिए उपयोग किया जाता है। इनमें से जिन्होंने टंगिया को चुना वे बैगा कहलाए तथा आगे चल कर बैगा जनजाति के वंशज बने एवं जिन्होंने नांगर अर्थात कृषि को चुने वे हल्बा (हलधारी) अर्थात हल्बा जनजाति के वंशज बने।


बैगा जनजातियो का रहन-सहन (Baiga Tribes Life Style):-

बैगा जनजाति के पुरुषों में सिर पर गमछा तथा धोती पहनने का चलन है एवं महिलाएं लुगरा (साड़ी) पहनती है। बैगा जनजाति के गहने महिलाएं कमर में करधन,गले में रूपया माला, हाथों में काँच की चूड़ियां, नाक में लौंग, कान में खिनवा, अधिकांश गहने गिलट के तथा नकली चाँदी के होते है। स्त्रियो मे गोदना प्रथा प्रमुख रूप से प्रचलित है जो उनमे शारीरिक साज सज्जा की विशेषता मानी जाती है। गोदना (टैटू) शरीर के अलग-अलग अंग जैसे- हाथ, पैर, माथे एवं गले में गोदना गोदवाते हैं। बैगा जनजाति अन्य जनजाति जैसे- गोड़, हल्बा, कवर, कोरवा आदि जनजाति के साथ निवास करते हैं।


बैगा जनजाति की प्रमुख लोकगीत व लोकनृत्य (Major folk songs and folk dances of Baiga tribe):-

बैगा जनजाति के लोग अपने इष्ट देव को प्रसन्न करने के लिए, त्योहार, शादी-ब्याह, जन्मोत्सव एवं मनोरंजन की दृष्टि से विभिन्न लोकनृत्य एवं लोकगीत को प्रस्तुत करते है। इनके लोकनृत्य करमा, विवाह में बिलमा नाच, लहंगी तथा झटपट आदि प्रमुख लोकनृत्य है। छेरता इनकी प्रमुख नृत्य नाटिका है। बैगा जनजाति की प्रमुख लोकगीत करमा गीत, ददरिया, बिहाव गीत, फाग, माता सेवा, सुआगीत आदि प्रमुख है। बैगा जनजाति की प्रमुख वाद्ययंत्र ढोल, माँदर, टिमकी, नगाड़ा, किन्नरी, एवं टिसकी आदि होती है।


बैगा जनजाति का त्योहार(Baiga tribe festivals):-

बैगा जनजाति के लोग प्रमुख त्योहार के रूप मे हरेली, पोला, नवाखाई, दशहरा, दीपावली, करमापुजा एवं होली आदि त्योहार मनाते है।


बैगा जनजातियो के देवी-देवता (Lord of Baiga Tribes):-

बैगा जनजाति के देवता बुढ़ादेव, ठाकुर देव, नारायण देव, भीमसेन, घनश्याम देव, धरतीमाता, ठकुराइन दाई, खैरमाई, रातमाई, बाघदेव, बुढ़िमाई,नागदेव, दुल्हादेव एवं भवानीमाता आदि को अपने इष्ट देवी-देवताओं के रूप मे पूजते हैं। इन लोगो मे अपनी देवी-देवताओं के प्रति अखण्ड विश्वास होती है। जादू टोना, मंत्र, तंत्र, भूत प्रेत, में काफी विश्वास करते हैं।''भूमका''इनके देवी देवता का पुजारी व भूत प्रेत भगाने वाला होता है।


बैगा जनजातियो मे विवाह प्रथा (Baiga Tribes Wedding Ceremony):-

बैगा जनजाति के रीति रिवाज मे विवाह प्रथा बुजुर्गों के देख रेख में सम्पन्न होती है। मुख्य रूप से लमसेना (सेवा विवाह), चोरी विवाह (सहपालयन), पैठू विवाह (घुसपैठ), गुरवट (विनिमय) तथा पुनर्विवाह (खड़ोनी) आदि विवाह प्रचलित है। इनमें पेठू, चोरी विवाह, तलाक, वैवाहिक विवाद, अनैतिक संबंध आदि समस्याओं का निपटारा परंपरागत तरीके से सामाज में भोज या जुर्माना लेकर किया जाता है।


बैगा जनजातियों का आर्थिक जीवन(Economic life of Baiga tribes):-

बैगा जनजाति शिफ्टिंग खेती (झूम खेती) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वे जंगल के क्षेत्रों को साफ करके खेती के लिए भूमि तैयार करते हैं और धान, मक्का, बाजरा, और विभिन्न सब्जियों की खेती करते हैं। बैगा लोग पारंपरिक कृषि उपकरणों का उपयोग करते हैं और स्थानीय जैव संसाधनों पर निर्भर होते हैं। बैगा जनजाति के लोग जंगली क्षेत्रों में निवास करते थे, जिसके कारण यही सोचते कि जंगल मे खेती कैसे करें। फिर उन्होने जंगलों को काट कर जला कर के राख में खेती शुरू की। इस प्रकार की खेती को बेवर खेती कहते हैं। लेकिन अब वर्तमान में यह बंद कर दिया गया है। अब स्थायी रूप से ढलान में खेत बनाकर उसमें खेती की जाती है। इनकी खेती मे प्रमुख फसलें के रूप मे कोदो, मक्का, मड़िया (रागी), धान, एवं दलहन की फसलें जैसे- उड़द, मूंग, झुनगा आदि की खेती की जाती है। इसके अलावा जंगलों से शिकारी, कंदमूल, तेंदू, तेंदू पत्ता, चार, लाख, शहद, तीखुर आदि का संग्रह करते है। बैगा जनजाति में मुख्य रूप से महिलाएँ बांस कला मे सम्पन्न होती हैं। जैसे:- बास की टोकरी, सुपा आदि चीजों का निर्माण करके इनका व्यापार करते हैं।



बैगा जनजाति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य (FQA):-

बैगा का अर्थ- झाड़-फूँक होता है। गाँव में जब किसी के घर में किसी प्रकार की बीमारी हो जाती है या कुछ हो जाता है। तब चेक करने के लिए डॉक्टर को न बुलाकर बैगा बुलाया जाता है।
बैगा जनजाति के लोकनृत्य करमा, विवाह में बिलमा नाच, लहंगी तथा झटपट आदि प्रमुख है जिनमे से छेरता इनकी प्रमुख नृत्य नाटिका है।
बैगा जनजाति का लिंगानुपात 1072 है।
बैगा जनजाति का साक्षारता दर 11.24%

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