ओझा (गोंड़) जनजाति | Ojha gond janjati in hindi

इस पोस्ट मे ओझा (गोंड़) जनजाति (Ojha gond Tribes Lifestyle) के बारे मे, उनके इतिहास, रहन-सहन, संस्कृति, भाषा , विवाह प्रथा, कृषि एवं खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहार एवं देवी देवताओ के बारे मे जानकारी दी गयी है।


Ojha gond Tribes Overview
जनजाति का नाम ओझा (गोंड़) जनजाति
ओझा (गोंड़) जनजाति की उपजाति बयार, डंडामी, सिरसिया, कोरकू, धुरवा
ओझा (गोंड़) जनजाति का गोत्र साकल, गनगेरा, चालक उइका, धुरवा, मर्सकोला, कुमरा, परते, मरावी, भलावी, मरकाम, इवनाती, सरयाम
निवास स्थान छत्तीसगढ़, मध्य्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र

ओझा (गोंड़) जनजाति (Ojha (Gond) tribe)-छत्तीसगढ़ के ओझा (गोंड़) जनजाति मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के सूरजपुर, जशपुर, धमतरी, रायगढ़, तथा बस्तर जिलों में व्यापक रूप से निवास करते हैं। ये जनजाति छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में बसी हुई है। गोंड़ जनजाति की संस्कृति उनकी जीवनशैली, परंपराओं, और सामाजिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करती है।


ओझा (गोंड़) जनजाति का इतिहास (History of Ojha (Gond) Tribe):-

दंतकथा अनुसार बूढ़ादेव ने सर्वप्रथम धरती, समुन्द्र, नदी, पहाड़, जंगल व जीव-जंतुओं की रचना किया। तत्पश्चात्‌ तीन भाई मनखे (मानव) बनाये। बड़े भाई को खेती बाड़ी का काम सौंपा वह गोंड कहलाया। मझले को देवी-देवता का पूजारी का काम दिया जो परधान कहलाया| छोटे भाई को डंहकी (वाद्ययंत्र) देकर महादेव ने गीत सिखाया जो ओझा 'कहलाया| अन्य जनजातियों के घर जाकर डंहकी बजाकर महादेव के गीत गाना व भिक्षा मांगना इनके आजीविका का प्रमुख आधार है।


ओझा (गोंड़) जनजाति की भाषा (Language of Ojha (Gond) tribe)

"गोंडी" छत्तीसगढ़ की ओझा (गोंड) जनजाति की प्रमुख भाषा है। गोंडी भाषा गोंडों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का एक अभिन्न अंग है। यह भाषाओं के द्रविड़ परिवार से संबंधित है और मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में बोली जाती है। , और ओडिशा के कुछ हिस्से।


ओझा (गोंड़) जनजाति की वस्त्र एवं आभूषण (Clothing and jewelery of Ojha (Gond) tribe):-

गोंड़ जनजाति की महिलाएँ पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं, जैसे लुगड़ा और कुर्ता, जो अक्सर रंग-बिरंगे और भव्य होते हैं। आभूषण जैसे चूड़ियाँ, कर्णफूल, और हार आमतौर पर जंगली हड्डियों, धातु, और कांच से बने होते हैं। महिलाएं गोदना गोदने का कार्य करती है।


ओझा (गोंड़) जनजाति की कृषि(Agriculture of Ojha (Gond) tribe):-

छत्तीसगढ़ के ओझा (गोंड़) जनजाति की कृषि परंपराएँ उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे पारंपरिक कृषि विधियों का पालन करते हैं और खेती उनके जीवन का मुख्य आधार है। गोंड़ जनजाति मुख्यतः झूम खेती या शिफ्टिंग कृषि का अभ्यास करते हैं। इस विधि में, वे जंगलों की कुछ भूमि को साफ करते हैं और वहाँ फसल उगाते हैं। फसल की कटाई के बाद, भूमि को छोड़ दिया जाता है ताकि वनस्पतियाँ फिर से उग सकें और भूमि पुनः उर्वर हो सके।गोंड़ जनजाति धान जैसी फसलों की खेती करती है। धान छत्तीसगढ़ में एक प्रमुख फसल है और यह मुख्य खाद्य स्रोतों में से एक है। साबुदाना, जो कसावा या सागो से प्राप्त होता है, का उपयोग खाद्य सामग्री में किया जाता है।


गोंड़ किसान पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जैसे कि हंसिया, खुरपी, और हल। उनकी खेती विधियाँ प्रायः स्थानीय जलवायु और भूमि की विशेषताओं के अनुरूप होती हैं। इसके अलावा, गोंड़ जनजाति तंबाकू, मूँग, उरद, चना, और मक्का जैसी अन्य फसलों की भी खेती करती है। गोंड़ जनजाति की खेती बारिश पर निर्भर करती है, और असमय वर्षा या सूखा उनकी कृषि उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है। भूमि के नियमित उपयोग और झूम खेती के कारण भूमि की उर्वरता में कमी आ सकती है। गोंड़ जनजाति की खाद्य संस्कृति में मुख्य रूप से धान, मक्का, साबुदाना, और वनस्पति आधारित भोजन शामिल है। वे पारंपरिक विधियों से भोजन तैयार करते हैं और यह भोजन उनकी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है।


सरकारी योजनाएँ और समर्थन:

आदिवासी विकास योजनाएँ: सरकार द्वारा गोंड़ जनजाति के कृषि कौशल को उन्नत करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

सस्य सुरक्षा योजनाएँ: आदिवासी किसानों को बीज, उर्वरक, और कृषि उपकरण प्रदान करने के लिए कई सरकारी योजनाएँ उपलब्ध हैं।


ओझा (गोंड़) जनजाति का प्रमुख लोकनृत्य तथा लोकगीत (Major folk dance and folk song of Ojha (Gond) tribe):-

ओझा (गोंड़) जनजाति में करमा, शैला, सुआ आदि इनके प्रमुख लोक नृत्य व करमा, सुआ, फगुआ बिहाव गीत प्रमुख लोकगीत हैं। गोंड़ जनजाति की पारंपरिक कला में गोंड चित्रकला शामिल है, जो प्राकृतिक रंगों से की जाती है और दीवारों पर उकेरी जाती है। पैम्पल वर्क और लकड़ी की नक्काशी जैसे शिल्प भी गोंड़ समाज की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं। संगीत में पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे ढोल, नगाड़ा, और मंजीरा का उपयोग किया जाता है। गोंडी लोक संगीत में भी जीवन की विविधताओं को व्यक्त किया जाता है।


ओझा (गोंड़) जनजातियो का महत्वपूर्ण त्यौहार (Important festival of Ojha (Gond) tribes):-

Ojha gond tribe में बिदरी, पोला, गवाखानी, दशहरा, दीवाली, महाशिवरात्रि, होली आदि इनके प्रमुख त्यौहार हैं। यहाँ की मुख्य त्योहारों में बहार (रबी का त्योहार) और दशहरा शामिल हैं, जो सामाजिक और धार्मिक महत्व रखते हैं।


ओझा (गोंड़) जनजातियो के देवी-देवता (Gods and Goddesses of Ojha (Gond) tribes):-

ओझा (गोंड़) जनजाति के प्रमुख देवी-सिंगोबा, दंतेश्वरी,जोगनी, बूढ़ीमाई,और खेरमाई तथा देवता-बड़ादेव, मुदुआ, भीमसेन, बाघदेव, डुंगरदेव इनके प्रमुख देवी-देवता हैं|गोंड़ जनजाति की धार्मिक मान्यताएँ प्राचीन मान्यताओं और स्थानीय देवताओं की पूजा पर आधारित हैं। वे प्रकृति, वनस्पति, और पशुओं की पूजा करते हैं


ओझा (गोंड़) जनजातियो में विवाह संस्कार (Marriage rites in Ojha (Gond) tribes):-

ओझा (गोंड़) जनजातियो में मामा या बुआ के पुत्री से विवाह को प्राथमिकता देते हैं। खर्च के रूप में अनाज, दाल, तेल, हल्दी, लुगड़ा, मंद व नगद 54 रूपये व्धु क॑ पिता को देते है। विवाह की रस्म भूमका कराता है। गोंड़ जनजाति की शादी पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ होती है, जिसमें विभिन्न अनुष्ठान और समारोह शामिल होते हैं। संविधानिक विधियाँ विवाह और मृत्यु जैसे महत्वपूर्ण जीवन चरणों के लिए विशेष रीतियाँ और अनुष्ठान होते हैं, जो समाज की परंपराओं को बनाए रखते हैं।


ओझा (गोंड़) जनजाति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य (FQA):-

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