इस पोस्ट मे भुंजिया जनजाति (Bhunjiya Tribes Lifestyle) के बारे मे, उनके इतिहास, रहन-सहन, संस्कृति, भाषा एवं बोली, विवाह प्रथा, कृषि एवं खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहार एवं देवी देवताओ के बारे मे जानकारी दी गयी है।
Bhunjiya Tribes Overview | |
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जनजाति का नाम | भुंजिया जनजाति |
भुंजिया जनजाति की उपजाति | चोकटिया, खोलारझिया, चिंडा |
भुंजिया जनजाति का गोत्र | नेताम, टेकाम, मरकाम, सोनवानी, बघवा, बोकरा, चितवा, मैंसा, जौँता, दूध, सुआ आदि प्रमुख गोत्र पाये जाते हैं। |
निवास स्थान | छत्तीसगढ़(रायपुर, महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी), उड़ीसा(कालाहांडी) |
भाषा-बोली | छत्तीसगढ़ी, भुंजिया |
कुल जनसंख्या | 10704 लगभग |
भुंजिया जनजाति(Bhunjiya janjati):-
छत्तीसगढ़ की भुंजिया जनजाति एक आदिवासी समुदाय है। जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करता है। यह जनजाति अधिकतर क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण जिले, कोंडागांव, रायगढ़, कांकेर, कोरबा, राजनांदगांव, बिलासपुर और रायपुर जिलों में निवास करती है। इनका प्रमुख आधार उनकी भाषा और सांस्कृतिक विशेषताओं पर है। इसके अलावा, वे अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में भी पाए जा सकते हैं। भुंजिया लोगों की प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में कृषि, खनन, और वन्यजीवन संबंधित काम शामिल हैं। वे अपने पारंपरिक जीवनशैली को बचाए रखने के लिए अपने प्राचीन संबंधों और परंपराओं का पालन करते हैं।
भुंजिया जनजाति का इतिहास (History of Bhunjiya Tribes):-
भुंजिया जनजाति कि उत्पत्ति के बारे मे कई दंत कथाएँ प्रचलित है लेकिन कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्थ नहीं है। इनकी चोकटीया उपजाति कि उत्पत्ति हलबा जनजाति और गोंड़ जनजाति के विवाह से तथा चिंडा उपजाति कि उत्पत्ति बिंझवार जनजाति और गोंड़ जनजाति के विवाह से उत्पन्न हुआ है। आदिवासियों के मध्य अन्तर्जातीय विवाह से उत्पन्न जनजाति समूह माना गया है | हलबा, बिंझवार तथा गोंड़ जनजाति के पुरूष एवं महिलाओं के प्रणय विवाह से उत्पन्न संतानों से भुंजिया जनजाति की उत्पत्ति अंग्रेज विद्वान रसेल तथा रिजले ने दर्शायी है।
भुंजिया जनजाति की भाषा एवं बोली(Launguage of Bhunjiya Tribes)
भुंजिया जनजाति की कोई विशेष भाषा नहीं है, इनकी भाषा हिन्दी ही है। इनकी बोली छत्तीसगढ़ी एवं भुंजिया है, जो कि इंडो-आर्यन से मिलती-जुलती बोली है।
भुंजिया जनजातियों का आभूषण (Jewelery of Bhunjiya Tribes):-
भुंजिया जनजातियों में गोदना प्रथा(Tatoo) का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे महिलाओं में आमतौर पर देखा गया है। महिलाएं इसे अपने पैरों पर, हाथों में, कलाई में एवं चेहरे पर गोदवाती है। इनकी मान्यता है कि गोदना से शरीर की सुंदरता बढ़ती है।
आभूषण के तौर पर महिलाएं पैरों में बिछिया, साँटी, ऐंठी(जो एक तरह की पायल है), हाथों में चूड़िया, गले में रूपिया माला (सिक्कों से बना हुआ हार), कान में खिनवा एवं नाक में फुली, नथनी पहनते है। ये सभी आभूषण चाँदी, गिलट, पीतल व ताँबा के होते हैं।
भुंजिया जनजातियों का खान-पान(Foods & Flavours of Bhunjiya Tribes):-
भुंजिया जनजाति का भोजन मुख्य तौर पर चावल है। उड़द एवं कुरथी दाल का उपयोग करते है, कभी-कभी ये लोग स्थानीय जगह पर मिलने वाली सब्जियों का भी उपयोग करते हैं। रात का चावल जो बच जाता है उसमे पानी डालकर रखते हैं, तथा सुबह खाते है। इसे बासी कहते हैं।
क्यूंकि ये जनजाति छत्तीसगढ़ के निवासी हैं अतः भुंजिया जनजातियों का खानपान समान्यतः छत्तीसगढ़ी खानपान से मिलता जुलता है।
भुंजिया जनजातियों की कृषि(Agriculture of Bhunjiya Tribes):-
भुंजिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से कृषि पर आधारित हैं। इनका मुख्य फसल धान, कोदो, कुटकी, उड़द, तिल, जोंधरी(मक्का) आदि हैं। वनों से महुआ, चार, तेंदू, गोंद, लाख़ एकत्र करके उपयोग करते हैं। इनमे शिकार, बरसात के समय मछली पकड़ना आदि कार्य किया जाता है।
महत्वपूर्ण त्यौहार (Festivals in Bhunjiya Tribes):-
भुंजिया जनजातियों मे छत्तीसगढ़ मे आमतौर पर मनाई जाने वाली त्योहार जैसे पोला, हरेली, नवाखानी एवं दीपावली, दशहरा आदि त्योहार मानते हैं।
भुंजिया जनजातियों का लोकगीत एवं लोकनृत्य (Folk Song & Dance in Bhunjiya Tribes):-
लोकगीत- बिहावगीत, पड़की, रहस, राम सप्ताह, बिहाव नृत्य आदि लोक गीत व नृत्य प्रचलित है।
भुंजिया जनजातियों की देवी-देवता (Lord of bhunjiya Tribes):-
इनके प्रमुख देवी देवता- बुढ़ादेव, ठाकुरदेव, भैंसासुर, बूढ़ीमाई, काना भैरा, कालाकुंवर, डूमादेव आदि।
भुंजिया जनजातियों का गोत्र (Clan of bhunjiya Tribes):-
भुंजिया जनजातियों का गोत्र प्रकृति पर आधारित है जैसे कछिन(कछुआ), मेझका/मेचका(मेढक), मरकाम, नेताम, मरई, पाती, सेठ, दीवान, नाईक सरमत एवं सुआर।
भुंजिया जनजातियों मे विवाह प्रथा(Wedding Ceremony of Bhunjiya Tribes):-
इनका विवाह प्रथा- पैठू विवाह, ओड़रिया, लमसेना, चूड़ी विवाह आदि प्रचलित है।
महत्वपूर्ण तथ्य (Important Points about bhunjiya Tribes):-
- भुंजिया जनजाति छत्तीसगढ़ की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है, इनकी जनजातियाँ विशेष रूप से गरियाबंद मे निवास करती हैं।
- भुंजिया जनजाति के लोग बीमारी का इलाज़ लोहे को गर्म कर दागते हैं इसे छत्तीसगढ़ी मे आंकना कहते हैं।
- इस जनजाति के लोग रसोई घर के लिए अलग से एक कमरा बनाते हैं, जिसे विशेष तौर पर लाल रंग से रंगा जाता है। जिसे "लाल बंगला" के नाम से जाना जाता है।
- चोकटीया भुंजिया के लोगों मे लाल बंगला बनाने का रिवाज़ है जो कि एक प्रकार का रसोई घर है, और यही इनकी धार्मिक आस्था एवं देवी-देवताओं का निवास स्थान हैं।
- लाल बंगला मे देवी-देवताओं की पूजा होती है तथा इस स्थान मे दूसरे जाति के लोगों का प्रवेश वर्जित होता है।
- जिस स्थान पर भोजन पकाया जाता है उसे गाय के गोबर से लीपते हैं। पकाया गया भोजन सबसे पहले चूल्हा देव को दिया जाता है, उसके बाद ही घर के सदस्य भोजन करते हैं। रसोई से निकला खाना दुबारा रसोई घर मे नहीं रखा जाता है।
- लाल बंगले मे मासिकधर्म के समय महिलाओं का, बिना स्नान करे एवं जूता-चप्पल के साथ प्रवेश वर्जित होता है।
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**धन्यवाद**
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