अगरिया जनजाति | Agariya Janjati in Hindi

इस पोस्ट में अगरिया जनजाति (Agariya Tribes Lifestyle) के बारे में, उनके इतिहास, रहन-सहन, संस्कृति, भाषा एवं बोली, विवाह प्रथा, कृषि एवं खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहार एवं देवी देवताओ के बारे में जानकारी दी गयी है।


Agariya Tribes Overview
जनजाति का नाम अगरिया जनजाति
उपजाति पथरिया,खुटियाँ
निवास स्थान छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड, बिहार पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में कोरबा, कोरिया, बलरामपुर, कबीरधाम, सूरजपुर और राजनादगाँव
भाषा बोली अगरिया भाषा, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी
कुल जनसंख्या लगभग 41243

अगरिया जनजाति (Agariya Tribes)- अगरिया जनजाति पितृ वंशीय, पितृ सत्तात्मक व पितृ निवास स्थानीय जनजाति है। इनमें पथरिया तथा खुटियाँ दो उपजाति पायी जाती है। एक जो लोहा को पत्थर पर रख कर हथोड़ी से पीट कर उपकरण बनाता है उसे पथरिया अगरिया कहते है। तथा दूसरा जी लोहे को खूंटी पर रख कर गर्म लोहा को पीटकर उपकरण बनाता है उसे खूंटिया अगरिया कहते है। सरगुजा के इलाकों में ये असुर अगरिया कहलाते है। यह मुख्य रूप से भारत में छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड आदि राज्यों में तथा छत्तीसगढ़ में कोरबा, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर और राजनादगाँव आदि जिलों में पाये जाते है। इनकी कुल जनसंख्या लगभग 41243 है।


अगरिया जनजाति का इतिहास (History of Agariya Tribes):-

अगरिया जनजाति का कोई एतेहासिक प्रमाण नहीं है लेकिन कीवदनतुओं के अनुसार गोड़ जाति से अलग हुआ एक उपजाति है। इसी गोंड जनजाति में दो भाई थे। इनके जीवन में जीने का साधन केवल कंदमूल संग्रह और शिकार करना था। एक इन दोनों भाइयों के बीच लडाई हो गयी उसके बाद एक भाई घर छोड़ कर जंगल की ओर चला गया। और झोपड़ी बना कर रहने लगा। रात में भूख लगने के कारण उसने आग जलायी और कुछ कंदमूल ढूंढने लगा ताकि उसे भून कर खा सके पर उसे कुछ न मिला। कुछ न मिलने के कारण वह गुस्से में आ कर पास मैं रखे पत्थर को आग में डाल कर सो गया। सुबह उठने के बाद देखता है की वह पत्थर लोहा का पत्थर था जो आग में पिघल कर लोहा बन गया। इसे देख कर लोहा बनाने का ज्ञान प्राप्त हो गया। और उसके जीने का आजीविका साधन बन गया और उसी समय से इन का वंशज अगरिया कहलाए जाने लगे।


अगरिया जनजातियों का वस्त्र एवं आभूषण (Agariya Tribes Costume):-

महिलाएं अपने शरीर पर गोदना गुदवाती है। जो इनकी पहचान एवं सुंदरता की प्रतीक है। और नकली गिलट व चाँदी के आभूषण पहनती है। पुरुष प्रधान गमछा या पटकू, धोती तथा अंगरखा (बंडी) आदि पहनते है।


अगरिया जनजातियों का खान-पान एवं रहन सहन (Food and Life style of Agariya Tribes):-

अगरिया जनजाति के लोग वनो और पहाड़ी इलाकों में निवास करते है। इन का घर मिट्टी का और छत्त घास फूस तथा खपरैल का होता है। घर की दिवारे सफेद और पीली रंग की होती है। और फर्श मिट्टी का होता है जिसे घर की महिलाए मिट्टी से छबई और गोबर से लिपाई भी करती है। इनके घर में 2 से 3 कमरे होता है एक कमरा अनाज़ रखने के लिए होता है। ये लोग कोदो कुटकी, मक्का, उड़द व मूंग की दाल और मौसमी भाजी सब्जी और बरसात के मौसम में मछ्ली खाते है अन्य मांसाहारी जैसे मुर्गा, बकरा आदि बना कर खाते है। महुवा का शराब बना कर पिया जाता है।


अगरिया जनजातियों का व्यवसाय (Agariya Tribes Agriculture):-

अगरिया जनजातियों का मुख्य व्यवसाय लोह अयस्क से लोहा बनाना होता है। लोह अयस्क को कोयला में मिलाकर मिट्टी से बनी 3 से 4 फूट ऊंची भट्टी में नीचे आग में जलाकर गर्म किया जाता है। उसके बाद महिलाएं चमड़े की धोकनी पर खड़े होकर पैर से दबा कर भट्टी को हवा देती है। लोह अयस्क से लोहा गल कर अलग हो जाता है उसके बाद भिन्न भिन्न चीजें जैसे:- कुल्हाड़ी, फावड़ा, हंसिया, कुदाली, तीर के नोक और बहुत सारी चीजें जो की लोहे से बनती है इस जनजाति द्वारा बनायी जाती है। स्थानीय निवासी लोगों से आनाज़ के बदले या रुपयों के बदले इन वस्तुओं को ली जाती है। इसके अलावा जिनके पास खेती करने लायक जमीन है उसमें कुछ फसल जैसे कोदो कुटकी, मक्का, उड़द, मूंग आदि बोते है। जंगलों से तेंदू पत्ता, महुआ, गुल्ली और कंदमूल इकट्ठा करते है। बरसात के दिनों में अपने खाने के लिए मछ्ली पकड़े है।


अगरिया जनजातियों का महत्वपूर्ण त्यौहार (Agariya Tribes Festivals):-

इनके प्रमुख त्योहार नवाखानी, दशहरा, होली, करमा पुजा आदि



लोकगीत एवं लोकनृत्य (Agariya Tribes Folk Song and Dance):-

लोकगीत- करमा गीत, ददरिया, सुवा गीत, विवाह गीत, फाग आदि प्रमुख है|

 लोकनृत्य- करमा नृत्य, दिवाली में पड़की एवं विवाह में विवाह नृत्य प्रमुख है|


अगरिया जनजातियों के देवी-देवता (Lord of Agariya Tribes):-

अगरिया जनजातियों के प्रमुख देवी देवता बूढ़ा देव, लोहासुर, ठाकुरदेव, दूल्हा देव, शीतला माता, बाघदेव, जोगनी, घुरलाघाट आदि इसके अलावा हिन्दू धार्मिक जीवन में देवी देवता है उनकी आस्था में पुजा की जाती है। यह जनजाति के लोग काले जादू टोना, भूत प्रेत, अंध विश्वास पर भी विश्वास करते है। दशहरा के दिन लोहासुर को काले मुर्गे की बाली दी जाती है।


अगरिया जनजातियों का विवाह(Wedding Ceremony of Agariya Tribes):-

अगरिया जनजातियों का विवाह ढुकू (घुसबैठ) व उढ़रीया (सहपालयन) कुछ सामाजिक दंड लेकर विवाह के रूप में मान्यता दी जाती है। विधवा, पुनर्विवाह होता है।


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