कमार जनजाति | Kamaar Tribes in Hindi

इस पोस्ट में कमार जनजाति जो कि एक विशेष पिछड़ी जनजाति है (kamaar Tribes Lifestyle) के बारे में, उनके इतिहास, रहन-सहन, संस्कृति, भाषा एवं बोली, विवाह प्रथा, कृषि एवं खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहार एवं देवी देवताओं के बारे में जानकारी दी गयी है।


kamaar Tribes Overview
जनजाति का नाम कमार जनजाति
कमार जनजाति की उपजाति बुन्दरजीवा एवं पहाड़िया
कमार जनजाति का गोत्र नेताम, मरकाम, मराई, कुंजाम, सोढी, जगत आदि है।
निवास स्थान छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले की छूरा व मैनपुर, धमतरी जिले की मगरलोड व नगरी, महासमुंद जिले की बागबहरा
कमार जनजाति की भाषा एवं बोली कमारी बोली तथा स्थानीय रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा
कुल जनसंख्या 26,622 लगभग

कमार जनजाति (Kamaar janjati)- यह एक विशेष पिछड़ी जनजाति है कमार जनजाति छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की छूरा व मैनपुर, धमतरी जिले की मगरलोड व नगरी, महासमुंद जिले की बागबहरा आदि जगहों में पाये जाते है। भारत की जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार इनकी जनसंख्या 26,530 है इनमें से पुरुषों की संख्या 13070 व महिलाओं की संख्या 13460 है। जिनमें से 47.70 प्रतिशत पुरुष एवं 30.15 प्रतिशत महिलाएं साक्षर है।


कमार जनजाति का इतिहास (Kamaar Tribes in History):-

देखा जाए तो कमारों की कोई एतेहासिक तथ्य नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इन कि उत्पत्ति मैनपुर में सबसे बड़ा देवता देवडोंगर गाँव में स्थित " वामन देवता " से है। इनके पूर्वज वामन देव को मानते थे। जंगलों में पहाड़ों के किनारे बसे रहने के कारण ये पहड़िया कहलाते है।


कमार जनजाति की भाषा (Kamaar Tribes Launguage)

कमार जनजाति के लोग कमारी बोली तथा स्थानीय रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा बोलते है।


कमार जनजातियों की कृषि (Agriculture of Kamaar Tribes):-

कमार जनजाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है कमार जनजाति के लोग बांस के बर्तन (सुपा, टुकनू) बनाने के साथ साथ मैदानी इलाकों में जैसे; धान, कुरथी, कोदो -कुटकी आदि आनाजों का उपज़ की जाती है, और साथ में शिकारी व मछ्ली पकड़ना भी होता है। वनोपज जैसे; वनों से जलाऊ लकड़ी, महुआ , महुआ के फल (डोरी), तेंदू व तेंदू के पत्ते, चार, हर्रा - बहेरा, साल के पत्ते व बीज़ आदि चीजों को एकट्ठा करके बाज़ार में बेच कर अपनी जरूरत का सामान खरीदते है।


कमार जनजातियों का महत्वपूर्ण त्यौहार (Festivals of Kamaar Tribes):-

कमार जनजाति के लोग नवाखाई, बीजबोनी, हरेली, माटीजात्रा, होली, दशहरा, दीपावली, छेरछेरा, पोरा आदि त्योहार मानाते है।

कमार जनजातियों के लोकगीत एवं लोकनृत्य (Kamaar Tribes Folk Song and Dance):-

कमार जनजातियों के प्रमुख लोकगीत- घोटुल पाटा गीत, करमा, सुआ, ददारिया, जश गीत, धनकुल /जागर गीत, बिहाव गीत व फागुन, रीलो गीत आदि है। कमार जनजाति की महिलाओं द्वारा नृत्य दीपावली पर्व के अवसर पर सुआ नृत्य करते है। करमा, रहस, एवं विवाह अवसर पर महिलाऐं व पुरुष दोनों साथ-साथ बिहाव नाचा नाचते हैं।


जश गीत

मइया पचरंग सहज सिंगार हो माय सेते ककनिया सेते बनुरिया, सेते पटा तुम्हारी हो माय सेते हे तोर बांह बहुंटिया सेत धजा फहराई। लाल कोर के अंगिया बिराजे पहिरे सारी लाल खात पान मुख लाल भयो है सिर के सेंदुर लाल पिंयरा सोनके तितरी बिराजे पिंयरा सोन के ढार 'पिंयरा हे तोर नाक नथुनिया रहे ओठ पर छाय कारी-कारी चुरिया मइया, कारी हे गर पोत कारी हे तोर माथे बिंदिया, बरय सुरुज के जोत नील के अंगिया, नील के पोतिया, नील मनिन के हार 'पचरंग साजी पहिर भवानी, मोहे जग संसार |


कमार जनजातियों के देवी-देवता (Loard of Kamaar Tribes):-

इस जाति के लोग प्रमुख देवी देवता छोटेमाई-बड़ेमाई वामनदेव, पूर्वज देव, शीतला माता, ठाकुरदेव, भीमा, माता पहुंचानी, कचना धुरवा, बूढादेव, बूढ़ीमाई, धरती माता, पोगरी देवता ( कुलदेव) , मागर माटी (पूर्वजों के गांव की मिट्टी) तथा माता डूमा (पूर्वज ) की पूजा करते हैं। तथा देवी देवताओं को मानते है।


कमार जनजातियों का विवाह(Wedding Ceremony of Kamaar Tribes):-

कमार जनजाति में सुखधन (विवाह तय होने पर ), पैठू, गुरावट, घरजिया ( घर जमाई ) चूड़ी विवाह और पुनर्विवाह भी होती है।


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